शनिवार, 27 अक्तूबर 2012

चुनावों के लिए फेरबदल

लोकसभा चुनाव के पहले मनमोहन सरकार के पास अपनी छवि सुधारने का ये आखिरी मौका है...और इस बार अपनी टीम में फेरबदल कर उन चेहरों को भी लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं जो कि पार्टी को चुनवों में फायदा पहुंचा सकते हैं...यानी ये साफ है कि मंत्रिमंडल में होने वाला ये फेरबदल चुनाव की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है...यूपीए की मौजूदा सरकार मे कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के छींटे है...तो कुछ पूर्व मंत्री आरोपों में फंस कर जेल की सज़ा भी काट चुके हैं....और अब तो सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी घोटालों के दाग लग चुके हैं...जिससे पूरी की पूरी यूपीए सरकार इस वक्त कटघरे में खड़ी है....और इस लिहाज से भी चुनाव के फाइनल मे पहले टीम मनमोहन का बदला जाना जरूरी लग रहा था...और यही वजह है कि समय रहते और जनता के बीच में जाने से पहले सरकार लोगों को ये संदेश देना चाहती है कि वो साख को लेकर सजग है...ऐसा नहीं है कि ये फेरबदल अचनाक हो रहा है....यूपीए नेताओं की हुई कई दौर की बैठकों के बाद सरकार इस निर्णायक मो पर पहुंची है....यूपीए टू के कार्यकाल में कॉमनवेल्थ घोटाला, टू-जी घोटाला, कोयला घोटाला जैसे बड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं...और इससे देश के खजाने को अरबों रुपए की चपत लग चुकी है....और दूसरी तरफ से लगातार बढ़ रही महंगाई भी आम जनता को खाए जा रही है....ऐसे में सरकार उन चेहरों को आगे करना चाहती है..जिनकी छवि साफ है...और इस बहाने सरकार बार-बार कड़े तेवर अपनाने वाले विपक्ष को भी शांत करने की कोशिश भी कर रही है...इस फेरबदल में दक्षिण पर खास ध्यान है..जिससे की चुनावों के समय नाराज़ डीएमके की भरपाई हो सके...तो बंगाल में भी नेतृत्व को मजबूत करने के लिए वहां के सांसदों को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है..तो दूसरी तरफ युवा शक्ति को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी के चहेतों सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा औऱ ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी प्रमोशन किया जा रहा है...लिहाजा ये साफ है कि इस फेरबदल के जरिए सरकार हर वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही है...लेकिन देखना ये होगा की कैबनेट में चेहरों को बदलने से सरकार की सीरत बदलेगी और क्या युवाओं को शामिल करने से भ्रष्टाचार में बुरी तरफ फंसी हुई सरकार को उबरने की शक्ति मिलेगी ?...

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

ब्लैक होल


देश के लिए ब्लैक होल है
आज की ये राजनीति
जहां सब कुछ बदल जाता है
बुराई अच्छाई में, गद्दारी वफादारी में
उजाला अंधेरा में, अनपढ़ विद्वान
कांटे फूल में, गद्दारी इमानदारी में
इन रास्तों में उलझ जाता है आदमी
रास्ता खोजते खोजते चकरा कर
गिर पड़ता, लेकिन होश में आने
खुद को पाता है उसी ब्लैक होल में
जहां सब कुछ हजम हो जाता है
और धीरे-धीरे वो भी हजम हो जाता है
इस अथाह ब्लैक होल में

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

रेप स्टेट हरियाणा!

रेप स्टेट हरियाणा

एक महीने में 17 बलात्कार, ये तस्वीर उस भारत देश की है जहां नारियों की पूजा की जाती है, जहां समाज में नारियों का खासा स्थान मिला हुआ है। हमारे देश में नारियों को दुर्गा, काली, लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में पूजा जाता है, और कितने इत्तेफाक की बात है कि कुछ दिनों बाद नवरात्र शुरू हो रहे हैं जब देश भर में मां दुर्गा की पूजा की जाएगी, फिर दीवाली का त्योहार आएगा जब लक्ष्मी का पूजन होगा फिर काली पूजा और फिर बसंत में सरस्वती की पूजा की जाएगी, और ये दुष्कर्म भी इन्हीं दिनों के पास हो रहे हैं। एक तरफ जहां ये दुष्कर्म हमारे समाज पर सवालिया निशान लग रहे हैं, तो दूसरी तरफ ये दिनों दिन मानव की गिरती मानसिकता का भी परिचायक हैं।
हरियाणा की पहचान जहां खेल राज्य के रूप में होती थी और इसे मेडलों का खजाना कहा जाता था, वहीं अब एक महीने में इसकी पहचान बदल गई है, हरियाणा को अब रेप स्टेट के नाम से जाना जाने लगा है, और ये मुख्यमंत्री हुड्डा की साख लगा बड़ा दाग साबित हो सकता है,खिलाड़ियों के मेडल जीतने पर ईनामों की बरसात करने वाले हुड्डा अब तक रेप की वारदातों पर काबू पाने अक्षम रहे हैं। मुख्यमंत्री साहब ने राज्य का कैप्टन होने के नाते महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात जरूर कही, लेकिन तब तक रेल गाड़ी प्लेटफॉर्म छोड़ काफी आगे निकल चुकी थी।

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और राज्य के बलात्कारी जिस्म पर सबसे पहले नमक भी कांग्रेस पार्टी ने ही छिड़का, इसकी शुरूआत की कांग्रेस की माननीय सोनिया गांधी जी ने, सोनिया गांधी बलात्कार पीड़ित परिवार से मिलने नरवाना गई थी, वहां उन्हें मुख्यमंत्री की क्लास लगानी चाहिए थी, प्रशासन को पुख्ता करने के निर्देश देने चाहिए थे, लेकिन पीड़ित परिवार से मिलने गई सोनिया को शायद इसका एहसास ही नहीं रहा कि आखिर पीड़ितों का दर्द कैसा होता है, वो सबके सामने मुख्यमंत्री हुड्डा का बचाव करती दिखीं और कह दिया की बलात्कार सिर्फ हरियाणा में ही नहीं देश में हर जगह हो रहे हैं। माना जाता है कि जब कभी भी सोनिया सामने आती हैं तो कड़े तेवर में होती हैं, यहां भी ऐसा ही हुआ, लेकिन अपनी सरकार के बचाव के लिए
सोनिया ने जो किया सो किया, राज्य के जख्मी शरीर पर दूसरा तीर दागा हरियाणा कांग्रेस के नेता धर्मवीर गोयत ने, गोयत साहब ने तो बलात्कार पर ही सवाल खड़े किए, और कहा कि यहां बलात्कार नहीं, आपसी सहमति से सेक्स होता है, और 90 फीसदी लोगों को ये बाद में एहसास होता है कि उनके साथ बलात्कार हुआ है।
बयानों का ये करवां आगे भी बढ़ा, फिर एक सज्जन ने ये कह डाला कि हरियाणा में हो रहे बलात्कार सरकार के खिलाफ साजिश है, अरे साहब आप ये क्यों नहीं सोंच पा रहे कि सरकार के खिलाफ साजिश रचने के लिए कोई भी अपने घर की इज्जत को नीलाम क्यों करेगा? हरियाणा सरकार की ये बातें इस बात का एहसास कराने के लिए काफी है यहां महिलाओं के साथ हुए बलात्कार के साथ-साथ सरकार और नेताओं की मानसिकता का भी बलात्कार हो गया है, और अगर ऐसा ही बना रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मंत्री और नेता बयान देते रहेंगे, और चारों तरफ अराजकता पैर पसारती रहेगी।
एक तरफ जहां हरियाणा का जख्म गहरा होता जा रहा है, तो वहीं रेप का उम्र कनेक्शन तलाशने की भी कोशिश की गई और ये कहा कि अगर लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र में कर दी जाए तो ऐसे वारदातों पर लगाम लगाई जा सकती है, लेकिन दरींदों ने इसे भी नाकाफी करार दिया, कुछ दिन बाद ही गुड़गांव में 6 साल की मासूम के साथ रेप किया गया, तो सिरसा में तीस साल की महिला के साथ। ऐसे में खापों की इस दलील के सामने ये सवाल खड़ा होता है कि क्या बलात्कारी उम्र देख कर बलात्कार करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो इसकी सज़ा उन्हें क्यों दी जाए जो कि पीड़ित है, उन्हें क्यों नहीं ढूंढा जाता जो दोषी है। ऐसा तो है नहीं कि बलात्कारी एलियन होते है जो कि दुष्कर्म करने आए और भी अपने यान से दूसरे ग्रह पर चले गए। वो भी हमारे ही बीच के हैं, और कोई ना कोई तो इस बारे जरूर जानता होगा कि आखिर उनके बीच वो दरिंदा कौन है, तो फिर उस पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, इसकी सज़ा उसे क्यों नहीं मिलती, सभी फतवे महिलाओं के लिए ही क्यों जारी होते हैं?
(प्रभाकर चंचल)